"नौकरी ढूंढ़ने वाले नहीं, नौकरी देने वाले बनें": नारायण राणे

"नौकरी ढूंढ़ने वाले नहीं, नौकरी देने वाले बनें": नारायण राणे

"नौकरी ढूंढ़ने वाले नहीं, नौकरी देने वाले बनें": नारायण राणे
केंद्रीय मंत्री नारायण राणे ने 19 से 21 फरवरी तक सिंधुदुर्ग के कंकावली में एमएसएमई पर एक राष्ट्रीय संगोष्ठी-सह-प्रदर्शनी का उद्घाटन किया है। राष्ट्रीय संगोष्ठी के लिए जो विषय चुना गया है, वह है- 'एमएसएमई की वृद्धि और विकास के लिए गुंजाइश'।

केंद्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) मंत्री ने रविवार, 19 फरवरी को महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग स्थित कंकावली में 'एमएसएमई की वृद्धि और विकास की गुंजाइश' पर राष्ट्रीय संगोष्ठी सह प्रदर्शनी का उद्घाटन किया है। 21 फरवरी तक चलने वाले इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए नारायण राणे ने ज्यादा से ज्यादा युवाओं से उद्योग में आने की अपील की।

नारायण राणे ने युवाओं से कहा, "नौकरी मांगने वाले नहीं, नौकरी देने वाले बनें"। उन्होंने आगे कहा, "सभी हितधारकों की सक्रिय भागीदारी के साथ, एमएसएमई क्षेत्र जीवंत बन सकता है। यही नहीं, इस तरह से यह भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास का इंजन भी बन सकता है।" बता दें कि भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास में छोटे और मध्यम स्तर के व्यवसायों का बड़ा योगदान है। यही वजह है कि समय-समय पर इन्हें बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा विभिन्न योजनाएं शुरू की जाती हैं।

प्रदर्शकों से की मुलाकात

राणे ने एमएसएमई क्षेत्र को बढ़ावा देने को लेकर सरकार के प्रयासों पर प्रकाश डाला। प्रदर्शनी में पहुंचे कई एमएसएमई प्रदर्शकों से मुलाकात की। साथ ही कहा, " राष्ट्रीय सेमिनार एमएसएमई योजनाओं के बारे में जागरूकता फैलाएगा, युवाओं को उद्यमिता अपनाने के लिए प्रेरित करेगा। साथ ही, 'आत्मनिर्भर भारत' के प्रति सबकी प्रतिबद्धता को मजबूत भी करेगा।" बता दें कि कपड़ा, जड़ी-बूटी, चमड़ा और कॉयर जैसे विभिन्न क्षेत्रों से आए अलग-अलग एमएसएमई प्रदर्शक, प्रदर्शनी में यहां अपने उत्पादों का प्रदर्शन करने पहुंचे हैं।

लाभार्थियों को प्रमाण पत्र किए वितरित

कार्यक्रम के दौरान, उद्यम सहायता पोर्टल के तहत आने वाले अनौपचारिक सूक्ष्म उद्यमों और राष्ट्रीय अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति हब (एनएसएसएच) के तहत आने वाले अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति के लाभार्थियों को प्रमाण पत्र वितरित किए गए। साथ ही, नवगठित खादी संस्थान- जनस्मृद्धि खादी ग्रामोद्योग संस्था, सिंधुदुर्ग को चरखा और करघे वितरित किए गए।

कार्यक्रम के दौरान अतिरिक्त विकास आयुक्त डॉ. इशिता गांगुली त्रिपाठी और एमएसएमई मंत्रालय एनएसआईसी के संयुक्त सचिव व सीएमडी मर्सी एपाओ द्वारा एमएसएमई योजनाओं पर प्रस्तुति दी गई। मझगांव डॉकयार्ड, इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड, भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड, परमाणु ऊर्जा विभाग, कोंकण रेलवे, गोवा शिपयार्ड, गवर्मेंट ई मार्केटप्लेस (जीईएम), कृषि व प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीईडीए) और भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) जैसे विभिन्न पीएसयू व संगठनों ने भी विक्रेता विकास कार्यक्रम में भाग लिया।

एमएसएमई क्या है?

एमएसएमई का मतलब है, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम यानि छोटे और मध्यम स्तर के व्यवसाय। एमएसएमई का प्रबंधन सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय (एमएसएमई) द्वारा किया जाता है। एमएसएमई सेक्टर का भारत के सामाजिक-आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान है। यही वजह है कि इसे 'भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी' भी कहा जाता है। यह सेक्टर न सिर्फ रोज़गार के अवसर पैदा करता है, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों के विकास में भी इसकी अहम भूमिका है। 31 अगस्त 2021 तक के आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, भारत में फिलहाल करीब 6.3 करोड़ एमएसएमई हैं।

एमएसएमई की नई परिभाषा

मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर के नए व्यवसायों के लिए निवेश की राशि और वार्षिक टर्नओवर समान है, जिससे इन दोनों क्षेत्रों के बीच का अंतर मिट गया है।

सेक्टर का प्रकार

मैन्यूफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर, दोनों

सूक्ष्म उद्योग

वे उद्योग हैं, जिनमें 1 करोड़ रु. से कम का निवेश किया गया है और जिनका वार्षिक टर्नओवर 5 करोड़ रु. से कम है।

लघु उद्योग

वे उद्योग, जिनमें 10 करोड़ रु. से कम का निवेश किया गया है और जिनका टर्नओवर 50 करोड़ रु. तक है।

मध्यम उद्योग

वे उद्योग, जिनमें 50 करोड़ रु. से कम का निवेश किया गया है, वहीं जिनका टर्नओवर 250 करोड़ तक है।

भारत सरकार द्वारा चलाई जा रही एमएसएमई लोन योजनाएं

फाइनेंशियल संस्थानों द्वारा दी जाने वाली और भारत सरकार द्वारा शुरू की गई एमएसएमई योजनाओं से जुड़ी जानकारी :

सीजीटीएमएसई : सूक्ष्म और लघु उद्यमों के लिए क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट
सीएलसीएसएस: क्रेडिट लिंक्ड कैपिटल सब्सिडी योजना
क्रेडिट गारंटी योजना
पीएमएमवाई के तहत मुद्रा योजना
राष्ट्रीय लघु उद्योग निगम (एनएसआईसी) सब्सिडी
पीएमईजीपी: प्रधान मंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम
पीएमआरवाई: प्रधानमंत्री रोजगार योजना
59 मिनट में पीएसबी लोन
स्टैंडअप इंडिया
स्टार्टअप इंडिया

आइए, इन्हें करीब से जानें

  • मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड, जिसे 'राष्ट्र का जहाज निर्माता', भी कहा जाता है, रक्षा मंत्रालय के तहत आता है। यह भारत के अग्रणी रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम शिपयार्ड में से एक है। इसका मुख्य कार्य मुंबई एवं न्हावा यार्ड में उपलब्ध सुविधाओं के आधार पर पनडुब्बियों एवं युद्धपोत का निर्माण करना है। इनके पास 1979 से 40 हज़ार डीडब्ल्यूटी तक के युद्धपोत, पनडुब्बी, व्यापारी जहाज बनाने की क्षमता है।
  • इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (आईओसीएल) एक फॉर्च्यून 500 कंपनी (2009 में 105 वें स्थान पर) है, जो भारत सरकार की सबसे बड़ी एकीकृत तेल शोधन और विपणन करने वाली सार्वजनिक क्षेत्र की कम्पनी है। इंडियन ऑयल को सरकार द्वारा महारत्न का दर्जा प्राप्त है। भारत में इसका पेट्रोलियम उत्पादों के विपणन में कुल हिस्सा 47 प्रतिशत और तेल शोधन में 40 प्रतिशत है।
  • भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) एक फॉर्च्यून 500 कंपनी (2008 में 287वें स्थान पर) है, जो भारत सरकार की तीसरी सबसे बड़ी एकीकृत तेल शोधन और विपणन करने वाली सार्वजनिक क्षेत्र की कम्पनी है। भारत पेट्रोलियम को सरकार द्वारा नवरत्न का दर्जा प्राप्त है।
  • परमाणु ऊर्जा विभाग (डीएई) की स्थापना राष्ट्रपति के आदेश के माध्यम से दिनांक 3 अगस्त 1954 को की गई थी। भारत का परमाणु ऊर्जा विभाग एक महत्वपूर्ण विभाग है, जो सीधे प्रधानमंत्री के अधीन है। इसका मुख्यालय मुंबई में है। यह विभाग नाभिकीय विद्युत ऊर्जा की प्रौद्योगिकी के विकास, विकिरण प्रौद्योगिकी के विभिन्न क्षेत्रों (कृषि, चिकित्सा, उद्योग, मूलभूत अनुसंधान आदि) में उपयोग, मूलभूत अनुसंधान में संलग्न है। इस विभाग के अंतर्गत 5 अनुसंधान केन्द्र, 3 औद्योगिक संगठन, 5 सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम, तथा 3 सेवा संगठन हैं। इसके अलावा इसके अंदर दो बोर्ड भी हैं, जो नाभिकीय क्षेत्र एवं इससे संबंधित क्षेत्रों में मूलभूत अनुसंधान को प्रोत्साहित करते हैं एवं उसके लिए फंड प्रदान करते हैं। परमाणु ऊर्जा विभाग 8 संस्थानों को भी सहायता देता है, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित हैं।
  • कोंकण रेलवे (केआर), भारत के 19 रेलवे ज़ोन्स में से एक है। यह कुल 760 किमी. लंबी है। इसकी स्थापना 26 जनवरी 1998 को हुई थी। इसका मुख्यालय मुम्बई के सीबीडी बेलापुर में स्थित है। 20 मार्च 1993 को उडुपी और मंगलौर के बीच कोंकण रेलवे ट्रैक पर पहली यात्री रेल चलाई गई थी। इस रेल रूट पर 2 हजार पुल, 92 सुरंगे बनाई गई हैं। एक जानकारी के मुताबिक इस लाइन का निर्माण 20वीं शताब्दी में पूरे किए गए सबसे मुश्किल कामों में से एक था। पहाड़ और समंदर के बीच से गुजरने वाली कोंकण रेलवे को 'मेट्रोमैन' का पहला करिश्मा भी कहा जाता है। 
  • गोवा शिपयार्ड लिमिटेड (जीएसएल) की स्थापना 1957 में हुई थी। यह भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण के तहत काम करती है। जीएसएल रणनीतिक रूप से गोवा में जुआरी नदी के तट पर स्थित है, जो एक प्रमुख अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल है। यह अपने अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे और सभी महत्वपूर्ण शिपिंग लाइनों के रास्ते में प्रमुख बंदरगाह से जुड़ा हुआ है।
  • गवर्मेंट ई मार्केटप्लेस (जीईएम) भारत सरकार का आधिकारिक पोर्टल है, जिसकी अभिकल्‍पना, विकास और होस्टिंग राष्‍ट्रीय सूचना विज्ञान केन्‍द्र (एनआईसी) ने की है। यह इलेक्‍ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, के तत्‍वावधान में एक अग्रणी आईसीटी संगठन है। इस पोर्टल का विकास, सरकार की राष्‍ट्रीय ई-शासन योजना के अंतर्गत एक मिशन मोड परियोजना के रूप में किया गया है। यह पोर्टल नवंबर 2005 में शुरू किया गया था।
  • कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा), दिसंबर 1985 में भारतीय संसद द्वारा पारित कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण अधिनियम के तहत स्थापित किया गया था। इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है। एपीडा 27 वर्षों से कृषि-निर्यात समुदाय की सेवा कर रहा है। देश के विभिन्न हिस्सों में निर्यातकों तक पहुंचने के लिए, एपीडा ने मुंबई, बेंगलोर, हैदराबाद, कोलकाता और गुवाहाटी में 5 क्षेत्रीय कार्यालय और तिरुवंतपुरम (केरल), भुवनेश्वर (उड़ीसा), श्रीनगर (जे एण्ड के), चंडीगढ़, इंफाल (मणिपुर), अगरतला (त्रिपुरा), कोहिमा (नागालैंड), चेन्नई (तमिलनाडु), रायपुर (छत्तीसगढ़), अहमदाबाद (गुजरात ), भोपाल (मध्य प्रदेश), लखनऊ (उत्तर प्रदेश) और पणजी (गोवा) में 13 आभासी कार्यालयों की स्थापना की है। एपीडा को एपीडा अधिनियम की अनुसूची में सूचीबद्ध 14 कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद समूहों के निर्यात संवर्धन और विकास की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इसके अलावा, चीनी के आयात की निगरानी करने की जिम्मेदारी भी सौंपी गई है।
  • भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) भारत की स्वतंत्र विकास वित्तीय संस्था है, जो सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों की वृद्धि एवं विकास के लक्ष्य को ध्यान में रखकर स्थापित किया गया है। इसका मुख्यालय लखनऊ में है और पूरे देश में इसके कार्यालय हैं। इसका उद्देश्य पुनर्वित्त सुविधाएं और उद्योगों को अल्पकालिक ऋण प्रदान करना है। यह एमएसएमई क्षेत्र की शीर्ष वित्तीय संस्था के रूप में कार्य करता है। सिडबी इस प्रकार की गतिविधियों में संलग्न संस्थाओं के समन्वय का भी कार्य करता है। सिडबी भारत सरकार के वित्तीय सेवाएं विभाग के तहत काम करता है।यह लघु उद्योग क्षेत्र के संवर्द्धन, वित्तपोषण और विकास तथा इसी तरह की गतिविधियों में लगी अन्य संस्थाओं के कार्यां में समन्वयन के लिए प्रमुख विकास वित्तीय संस्था है।
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